बहुत ही थोडे लोग सत्य को प्रेम करते हैं, और उन थोडे लोगों मे कोइ विरला ही परम् सत्य तक पहुंच पाता है। परम सत्य की उपलब्धि ही जीवन् साधना का उद्देश्य है। अपनी दृष्टि को पवित्र किये विना सत्य को हम देख नहीं सकते। दृष्टि को धूमिल करते हैं – काम, क्रोध् और अहंकार[…]
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