लोका जानि न भूलौ भाई।
खालिक खलक, खलक मह खालिक, सब घटि रहा समाई।।
अब्बलि अल्लह नूर उपाया, कुदरति के सभ बन्दे।
एक नूर ते सब जग किया, कौन भले कौन मंदे।।
ता अल्लाह की गति नहीं जानी, गुरु गुड़ दीन्हा मीठा।
कहै कबीर मैं पूरा पाया, सब घटि साहिब दीठा।।
– सन्त शिरोमणि, भगवान कबीर
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