हे माते! तू सर्वज्ञ है क्योंकि सबके भीतर स्थित आत्मा है तू। तेरी सत्ता चहुंओर और अनंत है।
तू ब्रह्मा में रचनात्मक शक्ति, विष्णु में पालन-पोषण की शक्ति, एवं शिव में संहारक शक्ति के रूप में स्थित है। तेरे अनंत नाम व रूप हैं। शब्द, चेतना, बुद्धि, निद्रा, क्षुधा, छाया, शक्ति, तृष्णा, क्षान्ति (सहिष्णुता), जाति, लज्जा, शांति, श्रद्धा-भक्ति, कान्ति (सौंदर्य), लक्ष्मी/सम्पन्नता, वृत्ति/व्यापार, स्मृति, दया-करुणा, तुष्टि, मातृ, भ्रांति, किंबहुना, सभी ज्ञात एवं अज्ञात शब्द-तत्त्व, नाम-रूप तेरे ही हैं। अच्छे-बुरे सबमें व्याप्त होकर तू ही लीला करती है।
तू अपने भक्तों की सदैव रक्षा करती है। तेरी महिमा अपरम्पार है। तू अगम्य है। तू अगोचर होते हुए भी सबकी साक्षी है। मनुष्यों के शुभ-अशुभ कर्मानुसार उन्हें पारितोषिक अथवा दण्ड देती है। तू कमजोरों, गरीबों, अकिंचनों, असहायों, मजबूरों, और निर्दोषों की सदैव रक्षा और भरण-पोषण करती है। निरहंकारिता तूझे अत्यंत प्रिय है। भक्त तुमसे जो मांगता है, तुम उसे वही प्रदान करती हो। लालची भक्त तुझसे धन मांगता है, कामी भोग, शासक शक्ति, और ज्ञानी मोक्ष। तू सबपे दयाकर उनकी मनोकामना पूरी करती है। इन भक्तों में, ज्ञानी तुझे सबसे अधिक प्रिय है। तू सबपे यथायोग्य अपनी कृपा बरसाती है।
सच्चे साधकों को सिद्धि प्रदान करने की कृपा कर मां!
इस सम्पूर्ण मानवजाति का कल्याण कर मां! सभी को ज्ञान दे मां! सभी को श्रद्धा-भक्ति प्रदान करने की कृपा कर मां! हर मनुष्य के भीतर करुणा, प्रेम, सहयोग एवं सौहार्द्रपूर्ण व्यवहार करने की शक्ति जागृत कर मां, ताकि मनुष्यों को स्वर्ग का आनन्द इसी धरती पर प्राप्त हो सके!
तेरी सदा ही जय! ????

Guru Purnima Special
Guru Purnima is a significant observance in various spiritual traditions, particularly in Hinduism, Buddhism, and Jainism. It is celebrated on the full moon day (Purnima)